Wednesday, July 24, 2013

सहायता एंव सहायक यंत्रों का राष्‍ट्रीय मेला 'स्‍वावलंबन' कल से शुरू

नई  दिल्ली : सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के विकलांगजन मामले विभाग की सचिव सुश्री स्‍तुति कक्‍कड़ ने विकलांगजनों के लिए सहायता एवं सहायक यंत्रों का राष्‍ट्रीय मेला 'स्वावलंबन' पर विस्‍तार से प्रेस सम्‍मेलन में चर्चा की। उन्‍होंने विकलांगजनों के पुनर्वास के लिए सरकार की विभिन्‍न योजनाओं के कार्यान्‍वयन तथा नीति निरूपण के बारे में भी विस्‍‍तृत ब्‍यौरा दिया। सचिव ने यह भी बताया कि विकलांगजन राष्‍ट्रीय नीति , 2006 के अंतर्गत विकलांगजनों को मूल्‍यवान मानव संसाधन माना गया है और यह उनके शारीरिक, आर्थिक और शैक्षिक पुनर्वास पर केन्द्रित है। उनके सशक्तिकरण हेतु केन्‍द्र और राज्‍य दोनों स्‍तरों पर विभिन्‍न राष्‍ट्रीय योजनाएं एवं कार्यक्रम चलाये जाते हैं। इन योजनाओं का क्रियान्वयन केन्‍द्र एवं राज्‍य सरकारों, भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम (एल्मिको) और राष्‍ट्रीय विकलांग वित्‍त विकास निगम (एनएचएफडीसी), देश के विभिन्‍न भागों में स्थित राष्‍ट्रीय संस्‍थानों तथा राष्‍ट्रीय न्‍यास, भारतीय पुनर्वास परिषद और गैर सरकारी संगठनों जैसे अन्‍य संबद्ध संगठनों के माध्‍यम से किया जाता है। सूचना के व्‍यापक प्रसार और विचारों, जानकारी, विशेषज्ञता और अनुभव के आदान-प्रदान को सुलभ बनाने के लिए और प्रभावित लाभान्वितों के बीच इनका प्रचार करने के लिए तथा तकनीकी प्रगति एवं वैश्विक मानदंडों के अनुरूप विकलांगजनों की आवश्‍यकताओं को एक ही बार में सर्वोत्‍तम उपलब्‍ध समाधानों के साथ पूरा करने हेतु विभिन्‍न एजेंसियों को एक समान मंच पर लाने की आवश्‍यकता महसूस की जाती रही है। 

विभाग द्वारा सहायक यंत्रों और सहायक उपकरणों पर अपनी तरह का यह पहला चार दिवसीय राष्‍ट्रीय मेला 'स्‍वावलंबन' दिनांक 25 से 28 जुलाई, 2013 के दौरान प्रात: दस बजे से सायं छह बजे तक प्र‍गति मैदान, बिजनेस लाउंज ए एंड बी, आईटीपीओ कॉम्‍पलेक्‍स, नई दिल्‍ली में आयोजि‍त किया जा रहा है। देशभर से कुल मिलाकर 50 सहभागियों के राष्‍ट्रीय मेले में उपस्थित होने और विकलांगजनों के लिए नवीनतम उपकरणों का प्रदर्शन किए जाने की आशा है। सहभागियों के बीच विस्‍तृत संपर्क और विचारों के निर्बाध आदान-प्रदान को सुलभ बनाने के लिए कार्यक्रम को विशेष दृष्टि से चार दिनों का रखा गया है ताकि महत्‍वपूर्ण विचार-विमर्श हेतु एक वृहद् एवं उन्‍मुक्‍त आदान-प्रदान संभव हो सके।

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