Sunday, August 18, 2013

राजा अगंपाल तोमर के "हाथी" के बच्चे से जुड़ा है पिलखुवा का इतिहास

"हाथी" का बच्चा जिसका कुछ लोग नाम "पिल" बताते है और कुछ लोग कहते है कि संस्कृत में हाथी के बच्चे "पिल" कहते है, भी जल क्रीडा के लिए पानी में उतरा और डूब गया। बहुत खोज के बाद भी जब "पिल" नहीं मिला तो उसे खोया हुआ मान लिया गया। इस प्रकार पिल+खुवा नाम की जगह का जन्म बताया जाता है।

                            -Vikas Mogha

पिलखुवा- गंगा और यमुना के परस्पर मध्य में स्थित एक विकसित हो रहा नगर है, भारत सरकार द्वारा "सैटलाइट सिटी" घोषित है। पिलखुवा का इतिहास पृथ्वी राज चौहान के ससुर राजा अगंपाल तोमर के "हाथी" के बच्चे जुड़ा बताया जाता है। कहा जाता है कि राजा अगंपाल तोमर अपने पुरे दल-बल के साथ दिल्ली के पूर्व की तरफ गंगा नहाने निकले और रास्ते में एक बहुत बड़ा तालाब मिला। उस समय तालाब को पार करने में कठिनाई हुई या उन लोगो को भ्रम हो गया कि यही गंगा है? वहां राजा अगंपाल तोमर के पुरे दल-बल ने अपने तम्बू लगा लिए और जल क्रीडा या स्नान आरम्भ हो गया। "हाथी" का बच्चा जिसका कुछ लोग नाम "पिल" बताते है और कुछ लोग कहते है कि संस्कृत में हाथी के बच्चे "पिल" कहते है, भी जल क्रीडा के लिए पानी में उतरा और डूब गया। बहुत खोज के बाद भी जब "पिल" नहीं मिला तो उसे खोया हुआ मान लिया गया। इस प्रकार पिल+खुवा नाम की जगह का जन्म बताया जाता है। गंगा-यमुना के मध्य की उपजाऊ भूमि ने बहुतो को आकर्षित किया और कहा जाता है कि राजा अगंपाल तोमर के साथ आयें, उनके सेवक वही बस गए। इस प्रकार राजपूतों के 60 और 84 गावं पिलखुवा के चारो तरफ बस गए। कहा जाता है कि राजा अगंपाल तोमर ने पिलखुवा से लेकर दिल्ली तक अनेक यादगार या छोटे-छोटे स्मारक बनाये थे। जब तक अपने बड़े भाईयों के सानिध्य में रहा तो सुबह-सुबह की सैर पिलखुवा नगर के अपने घर से एन० एच० -24 पर जिंदल नगर तक होती थी और एन० एच० -24 और दिल्ली- लखनऊ रेलवे ट्रैक के बीच में डासना स्टेट से लेकर गढ़मुक्तेश्वर तक 500 मीटर की भी दुरी नहीं है। इसी दुरी में तमाम पुराने जर्जर कूए और मंदिरनुमा छोटी इमारते थी। किसका मंदिर है, इसका अंदाज़ा लगाना भी मुश्किल था क्योकि उसमें मूर्तियाँ नहीं थी। आज तो पिलखुवा के कोने पर बना वह ऐतिहासिक तालाब भी रायफलो की गोलियों से निकले खौफ के बाद शॉपिंग काम्प्लेक्स की शक्ल ले चूका हैं, अब उन स्मारकों के भी अवशेष नहीं मिलेंगे जो 25 वर्ष पहले तक हुआ करते थे। अक्सर हम सुनते है कि धन और बल की ताकत, पर पिलखुवा में धन की ताकत का कोई मायना नहीं है, बल है तो धन भी आपके पीछे खड़ा है। इसके अतिरिक्त सारी दौलते बेमानी है, ऐसा समय समय पर मेरे पिता जी ने भी महसूस किया और उसका महत्त्व भी बताते थे। पिलखुवा के हलाकू पहलवान, हफीज पहलवान तो पुराने हो गए थे। बाबा जयचंद कटारिया और चाचा युनुस पहलवान के अखाड़े में पिता जी ने भेजा तो गए और उसके बाद चाचा पप्पू पहलवान और पहलवान प्रमोद तेवतिया भाई के जिम में गए, इस जिम के लोगो ने पॉवर और वेट लिफ्टिंग में पिलखुवा का नाम इंटरनेशनल पटल पर रखा है। उसके बाद बाबा मुंशीराम जौहर जी के तलवार, लाठी वाले अखाड़े में गए। यह सब व्यक्ति को बलशाली तो बना सकते है या शारारिक रूप से फिट रखने में सहायक हो सकते है लेकिन जिन्दगी जीने के लिए जो बल चाहिए, वह इनमें मुझे नज़र नहीं आया था।


2 comments:

  1. THANK YOU VIKAS JI MERE PILKHUWA KE BAARE ME BATAANE KE LIYE UMESH BHATI MOHALLA SHUKLAAN

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