Tuesday, December 21, 2010

ज़हरखुरानो के आतंक के आगे बेबस रेलवे पुलिस..........!

मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश- ज़हरखुरानो के आतंक की कहानी शायेद ही किसी ने ना सुनी हो, लेकिन अभी तक  इस कहानी के अंत के बारे में कोई भी लिखने(समाप्त) में ठोस कदम नहीं उठाया  जा सका है| इतना मजबूर प्रशासन की ज़हर खुरानो  के आतंक के आगे इनकी कुछ भी नहीं चलती और  आये दिन ट्रेनों में ऐसी घटनाये तो घट ही जाती है | 
आइये  नज़र डालते है  पिछले दिनों की कुछ घटनाओ पर  जिससे ये साफ़ भी हो जायेगा की हमारी सुरक्षा के प्रति वचन बद्द पुलिस प्रशासन की कार्य प्रडाली क्या कहती है| १४, दिसंबर को एक पैसेंजर ट्रेन में एक यात्री को नशा खिला कर लूट लिया गया, १५ दिसंबर को गरीब नवाज़ एक्सप्रेस में तीन यात्रियों को नशा दे कर लूटा गया,१६ दिसंबर को किसान एक्सप्रेस में चार यात्रियों को भी ज़हरखुरानो ने नहीं बक्शा और नशा खिला कर सामान लूट कर चलते बने| ताज़ा घटना पर नज़र डाले तो २० दिसंबर को पूरे पांच यात्रियों को विभिन्य ट्रेनों में नशा खिला कर लूट लिया गया और रेल प्रशासन हाथ पे हाथ धरे बैठा रहा| जी.आर.पी. द्वारा  कुछ घटनाओ का पर्दाफाश भी किया गया लेकिन  इसके लिये कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा सका है जिससे निरंतर हो रही घटनाओ पर ब्रेक लगाया जा सके|  
बहरहाल ज़हर खुरानो के चंगुल में फंस चुके  उन यात्रियों की दास्ताँ पर नज़र डाले तो कुछ ऐसे तथ्य सामने आते है जिसे सुन कर कोई भी कहेगा की ऐसा किसी के साथ ना हो| अबतक की सबसे जादा घटनाये उनके साथ ही हुई है जो काफी गरीब तपके के है| ज़रा सोचिये  जो कई महीने से अपनों से दूर रह कर रोज़ी रोटी के लिये दिन रात मेहनत करते है अपने घर वालो के लिये कुछ पैसे और सामान इकठ्ठा कर के घर वापसी करते है उनके साथ अगर ऐसी दुखद घटना हो जाये तो उस परिवार पर क्या बीतती है ये उस परिवार से बेहतर कोई नहीं जान सकता जो कुछ पैसो की आस लिये बैठे होते है| उनके ऊपर क्या बीतती है जिनका एक ही पल में उन ज़हरखुरानो ने सब कुछ लूट लिया हो| सबसे ताज्जुब वाली बात की हमारी जी.आर.पी. भी  ऐसी घटनाओ पर नियंत्रण कर पाने में असमर्थ साबित हुई है| रेलवे के दावे रहे है की ऐसी घटनाओ पर नियंत्रण किया जायेगा लेकिन उनके दावो की पोल हर रोज़ खुलती नज़र आती दिखाई देती है| ऐसे में सारा दोष जी.आर.पी. को भी नहीं डाला जा सकता क्यूकी अनजान लोगो से मुफ्त का सामान खाने में लोग नहीं हिचकते और अपना सब कुछ गवां बैठते है| यात्रा के दौरान इस बात का  ध्यान रखना चाहिए की किसी की दी हुई चीजों को ना खाए और ना ही किसी से यात्रा के दौरान मित्रता करे| ट्रेन में ही चलने वाले अधिकृत  वेंडर से ही खाने पीने की चीज़े खरीदे| 

Sunday, December 19, 2010

खुलेआम अवैध सीडी का धंधा और प्रशासन मौन...!

मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश- खुलेआम अवैध सीडी का धंधा और प्रशासन  मौन...! ये कहानी बयान करती है बाज़ार में सजी दुकानों पर नई फिल्मो की सीडी का खुलेआम बेचा जाना | मनोरंजन कर विभाग ने पिछले दिनों छापा मारी कर कुछ दुकानों पर कार्यवाही भी की थी,लेकिन इस तरह के अभियान सिर्फ चंद दिनों तक ही सीमित रहते है| ऊपर से दबाव होने पर ये जागते है फिर एक दो  को पकड़ कर खाना पूर्ती करते हुए इस अभियान को ठन्डे बस्ते में डाल देते है| 
सोचनिये है की जब नई सीडी के बाज़ार में बिकना प्रतिबंधित है तो उसे खुले आम कोई कैसे बेच सकता है? इससे दो बात और सामने आती है की या तो इन दूकानदारो से मोटी रकम ले कर उन्हें ऐसा करने  की छुट देते है या फिर विभाग को आराम मिजाजी  का शौक है|  नई फिल्मो के रिलीज़ होने के तुरंत बाद उसकी कॉपी कर के सीडी को बाजारों में बेच दिया जाता है| जानकारी के मुताबिक  नई फिल्मो की सीडी सिनेमा घरो में जा कर रिकॉर्ड की जाती है जिसमे सनेमा घर के कर्मचारी को एक मोटी रकम दे कर उसकी मदद ली जाती है| जिससे उसी दिन उस फिल्म की सीडी को बाज़ार में बेच दिया जाता है|
बाजारों में अश्लील सीडी बेचने का धंधा भी जोरशोर से चल रहा है जिसे बेचने वालो में  कुछ जनरल स्टोर भी शामिल बताये जाते है| इस प्रकार के जनरल स्टोर ऐसी सीडी सिर्फ उन्हें मुहैय्या करते है जो उनके नियमित ग्राहक है| ऐसे में इन्हें कारवाही का डर भी नहीं रहता | फुटपाथ पर बैठे दुकानदार भी इस अश्लील फिल्मो की सीडी के कारोबार से मोटी रकम कमा रहे है |   इस प्रकार की प्रतिबंधित सीडी बाज़ार में आसानी से नहीं मिलती,लेकिन दुकानदार से थोड़ी पहचान बनाने  के बाद आपको आसानी से मिल जाएगी |

Wednesday, October 20, 2010

जनता की गाढ़ी कमाई को लूटती मोबाइल कंपनियां..!

मुरादाबाद,उत्तर प्रदेश|रिलाइंस कंपनी द्वारा मुरादाबाद के एक उपभोगता के मोबाइल से बिना वजह पैसे काट लिये गये और खुद से ही एक सिम्पली म्यूजिक गोल्ड पैक की सर्विस चालू कर दी गई, शिकायेत करने पर उपभोगता को खुद ही इसे चालू करवाने की बात कह कर कस्टमर केयर वालो ने अपना पल्ला झाड लिया और पैसे वापस करने के लिये साफ़ मना कर दिया गया और कस्टमर केयर वाले अपनी बात पर अड़े रहे की कंपनी द्वारा किये गये एक फ़ोन कॉल के दौरान आपने ये सर्विस चालू करवाई है, उपभोगता द्वारा लगातार ये कहा जाता रहा की उस फ़ोन कॉल की जाँच की जाये की उस समय क्या बातचीत हुई? लेकिन कस्टमर केयर वाला अपनी बात पर अड़ा रहा की अब कुछ नहीं हो सकता ये पैसे वापस नहीं किये जा सकते| लेकिन उपभोगता द्वारा जैसे ही उनसे भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI ) में इसकी शिकायेत करने की बात कही उसके एक घंटे के बाद ही रिलाइंस कंपनी द्वारा उपभोगता के मोबाइल में काटे गये पैसे वापस डाल दिए गये साथ ही उस सर्विस को हटा दिया गया| इससे साफ़ पता चलता है की भोली-भाली जनता का किस प्रकार शोषण किया जा रहा है|
बहरहाल इस तरह जनता के पैसे को बिना वजह से काटा जाना कहा तक सही है ? आज ना जाने कितने लोग खुद बा खुद इस तरह की सर्विस के चालू होने और पैसे काटे जाने से आये दिन परेशान रहते है| ये तो रिलाइंस कंपनी के हालात है ऐसी ना जाने कितनी मोबाइल कंपनी जनता को लूटने का प्रयास कर रही है|

Sunday, October 17, 2010

पत्रकार मसालेदार बाईट लेने में लगे रहे और साथी पत्रकार पिटता रहा...!

पत्रकार  वार्ता  में  एक पत्रकार को धक्के मार कर बाहर निकलना एक शर्मनाक मामला है| सबसे बड़ी बात की ऐसी घटना के बाद भी किसी पत्रकार ने उस समय उसकी कोई मदद नहीं की| सब अपनी मसालेदार बाईट लेने में लगे रहे वही दूसरी तरफ उस पत्रकार को ज़लील किया जाता रहा और उसके साथ हाथापाई की जाती रही| कॉफ्रेंस रूम से किसी पत्रकार को इस तरह बाहर निकाला जाना बेहद गंभीर मामला है | शाही इमाम द्वारा उस पत्रकार के सवाल करने पर उसके साथ अपशब्द भाषा का प्रयोग किया गया और उसे जिस तरह सभी पत्रकार बंधू के सामने धक्के दिए जाते रहे और मारने का प्रयास किया गया उससे ये साफ़ तौर पर कहा जा सकता है की आज पत्रकारों में एकता की कमी है| समाज के चौथे स्तम्भ कहे जाने वाले पत्रकार की सभी पत्रकारों के सामने अपमान किया जाना एक बेहद गंभीर मामला है | एक पत्रकार द्वारा सवाल पूछा जाना कोई गुनाह नहीं है लेकिन उस पर गुस्से का इज़हार करना और मारपीट पर उतारू हो जाना ये शाही इमाम के ऊपर शोभा नहीं देता| काबिले गौर है की इस्लाम में गुस्से का इज़हार करना हराम है|

Thursday, September 23, 2010

मुरादाबाद में बाढ़ ने ढाया कहर, दहशत में लोग


मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश: मुरादाबाद शहर के राम गंगा विहार कालोनी, एम्.ड़ी.ए कालोनी, जामा मस्जिद छेत्र  में बाढ़ के कहर से जहा जन जीवन अस्त व्यस्त हो चुका है वही लोगो में अपने घरो में लूट पाट का भय भी सता रहा है, मुरादाबाद शहर  की एम्.ड़ी.ए कालोनी में सब से अधिक पानी का प्रकोप देखा जा सकता है जिससे लोगो में भय के साथ साथ लूट पाट का भय भी सता रहा है रात अंधेरो में बिताने वाले वहा के बाशिंदे एक तरफ बाढ़ के पानी से तो दूसरी तरफ लूट पाट के भय से रात भर जाग कर गुज़ार रहे है| बाढ़ पीड़ित लोगो का एम्.ड़ी.ए कालोनी से पलायन जारी है| कोई साधन ना चल पाने के कारण बैलगाड़ी का सहारा लिया जा रहा जिसके बदले में प्रतिएक चक्कर के 1000 से 1200 रूपये तक अदा करने पड़ रहे है| एक समय में जहा रिक्शा 5 रूपये लेता था आज उस बाढ़ के छेत्र में एक सवारी के लिये 50 रूपये तक वसूले जा रहे है| हालाँकि रिक्शा भी अधिक दूरी तक अन्दर नहीं जा पा रहा| एक रिक्शे वाले से बातचीत करने पर उसने बताया की पानी में रिक्शा चला कर ले जाना आसान नहीं है| इस लिये इतने अधिक पैसे लिये जा रहे है| दूसरी तरफ कुछ स्थानिये लोग भी मदद के लिये आगे आये है जो  ट्रैक्टर के माध्यम से लोगो को मदद  पहुचाने का काम कर रहे है|

प्राप्त जानकारी के अनुसार  राम गंगा विहार कालोनी में कल की अपेछा पानी तक़रीबन दो फिट तक कम हुआ है लेकिन शाम के पानी का बहाव देख कर अनुमान लगाया जा सकता है की रात में बाढ़ का पानी दुबारा बढ़ सकता है| मुरादाबाद शहर की  जामा मस्जिद के इलाके में भी पानी लोगो के घरो तक पहुच चुका है| वहा के लोग पानी के बीच रहने को मजबूर हो गये है साथ ही पानी का जलस्तर यदि रात में बढ़ जाता है तो स्थिति और भी भयानक हो सकती है| जिगर कालोनी के निचले इलाको में बाढ़ के पानी ने अपना पैर पसार लिया है वही इस कालोनी के किनारों पर बने घर दहशत में जीने को मजबूर है| वही लोगो ने बाढ़ के पानी से निजात मिल सके इसके लिये प्रार्थना करनी शुरू कर दी है|
व्यापार कर विभाग में अधिक पानी की वजह से लोगो को बहुत असुविधा का सामना कर पड़ रहा है बता दे की मुरादाबाद का व्यापार कर विभाग भी  एम्.ड़ी.ए कालोनी में स्थित है जहा पर काफी पानी भरा हुआ है |  एम्.ड़ी.ए कालोनी के बाहर लोग अपने घरो तक पहुचने के लिये किसी साधन की प्रतीक्षा करते हुए दिखे तो कोई डॉक्टर के वहा जाने के लिये पानी में घुस कर बाहर आने पर मजबूर दिखा| एम्.ड़ी.ए कालोनी शहर की पाश कालोनी  कही जाती है| लोगो को सहयेता पहुचाने के लिये नाव का इंतज़ाम भी किया गया है जिससे अधिक अन्दर तक फंसे लोगो को मदद दी जा सके| एम्.ड़ी.ए कालोनी पूरी तरह से जलमग्न हो चुका है जहा पर लोग पानी में रहने को मजबूर है| वहा पर अधिकतर लोग पानी के बीच रह कर भी पानी को तरस रहे है क्यूकी अधिकतर लोगो के हैण्ड पम्प पूरी तरफ से डूब चुके है| दूसरी तरफ इस इलाके में जादातर लोगो ने पानी की मोटर लगा रखी है वो भी आज किसी काम की नहीं है क्यूंकि सुरक्क्षा की दृष्टि से इस इलाके की बिजली सप्लाई बंद कर दी गई है| जामा मस्जिद इलाके में भी  बिजली की  सप्लाई को  बंद कर दिया गया है| एम्.ड़ी.ए कालोनी और  राम गंगा विहार कालोनी में लोगो का  पलायन जारी है | परिवार  की सुरक्षा  की दृष्टि से  कुछ अपने परिचितों   के वहा जा चुके है  जिनके कोई जानने वाले नहीं है वो वही पानी के बीच दहशत में रहने को मजबूर है|

दिन में रौशन सिविल लाइन मुरादाबाद की सड़के|

मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश : दिन में रौशन सिविल लाइन मुरादाबाद की सड़के| एक तरफ जहाँ बाढ़ के पानी से आई तबाही के कारण विभिन्य इलाको की बिजली काट दी गई है वही सिविल लाइन के एरिया में तकरीबन सभी रोड लाइट जलती हुए मिली| कर्मचारियों की इस लापरवाही पर किसी की नज़र नहीं पड़ी|

Thursday, July 8, 2010

कंप्यूटर सोफ्टवेयर के छेत्र में बेरोजगार युवकों के लिये "पी एच पी' का कोर्से एक बेहतर विकल्प- सैफ खान

 लखनऊ: कंप्यूटर सोफ्टवेयर  के छेत्र में आज बेरोजगार युवकों के लिये कई विकल्प मौजूद  है जिससे वो इस छेत्र में आगे बढ़ सकते है| ज़्यादातर  देखा गया है की सूचनाओ के आभाव में बहुत से युवक इस कंप्यूटर सोफ्टवेयर  के छेत्र में अपनी किस्मत नहीं आजमा पाते और दर दर की ठोकरें खाते  है| आज ख़ास तौर पर हम उन  युवको की बात कर रहे है जो इस छेत्र में आने से पहले सिर्फ इसलिए पीछे हट जाते है की वो आज के ज़माने में विभिंन्य संस्थानों द्वारा तये की गई मोटी फीस देने में असमर्थ होते है|  इन्ही सब बातो को ध्यान में रख कर हमने राजधानी लखनऊ के जेड.एन.इन्फोटेक प्राइवेट लिमिटेड  के को- आर्डिनेटर  सैफ खान से बातचीत की और उनसे जाना की गरीब और बेरोजगार युवको को इस छेत्र में आगे बढ़ने के लिये क्या करना चाहिए| हालाँकि छोटी सी उमर से ही कंप्यूटर सॉफ्टवेर के छेत्र में आगे बढ़ रहे सैफ खान ने आज अपनी एक सफलता भी हासिल की है जो यह साबित करता है की आज कोई भी युवक इस छेत्र में आगे बढ़ सकता है बस उसे सही मार्गदर्शन मिलना चाहिए|

बात चीत के दौरान उन्होंने बताया की कंप्यूटर सोफ्टवेयर एवं वेबसाइट डेवलप्मेंट के छेत्र में 'एएसपी डाट नेट' और "पी एच पी' काफी  हद तक उन युवको के  लिए फायेदेमंद होता है जो इस छेत्र में अपनी किस्मत आज़माना चाहते है| इस  कोर्से के बाद सोफ्टवेयर एवं वेबसाइट को आसानी  से बनाया जा सकता है| "पी एच पी' का  कोर्से करने के बाद  वेबसाइट  बनाने  के लिए जिस "पी एच पी' सॉफ्टवेर का इस्तेमाल किया जाता है उसे आसानी  से इन्टरनेट से डाउनलोड  किया जा सकता है जिसके  बाद आप को वेब साईट बनाने में कही से कोई सॉफ्टवेर नहीं खरीदना पड़ता  है जबकि 'एएसपी डाट नेट' के साथ ऐसा नहीं है| यानी की "पी एच पी' ही एक ऐसा विकल्प है जिसका कोर्से करने के बाद इस छेत्र में काफी हद तक आगे बढा जा सकता है ये उन युवको के लिये काफी हद तक लाभदायेक है जो कम पैसो में एक अच्छा रोज़गार पाना चाहते है|
"पी एच पी' के इस कोर्से को किसी भी रजिस्टर्ड संस्था द्वारा केवल तीन महीनो में करने के पश्चात्  रोज़गार की प्राप्ति की जा सकती है, इस कोर्से का सीखना भी आसान  होता है| सबसे बड़ी बात की इस तीन महीने के कोर्से को सिखने में सिर्फ 3500 रूपये से लेकर 4500 रूपये तक का ही  खर्चा आता है जो एक बेहतर रोज़गार पाने  के हिसाब से काफी कम है| "पी एच पी' के बारे में पूछे जाने पर की ये है क्या के जवाब में उन्होंने कहा की "पी एच पी' (पीएचपी ह्य्पेर टेक्स्ट प्रोससर )  यह एक फास्ट सर्वर साईट स्क्रिप्टिंग लैंग्वेज है जिसका प्रयोग डाय्नामिक  और एट्रेक्टिव वेबसाइट बनाने के लिये किया जाता है, सबसे बड़ी बात की ये ओपन सोर्स होता है जिसे आसानी से इन्टरनेट से डाउनलोड कर के इस्तेमाल किया जा सकता है जिसके लिंक की जानकारी उन संस्थानों द्वारा उपलब्ध कराइ जाती है जिससे छात्रों को कोई दिक्कत न आये|  ये कोर्स उन युवको के लिये काफी हद तक कारगर साबित होता है जो कम पैसो में अपना भविष्य बनाना चाहते है| वैसे देखा जाये तो आज बड़ी बड़ी कंपनियों में ऐसे हे युवको की मांग भी जादा है जो कंप्यूटर सोफ्टवेयर  के छेत्र में अच्छी जानकारी रखते है| इनसे संपर्क इनकी वेबसाइट http://www.zninfotech.com/ के माध्यम से किया जा सकता है |

Friday, June 11, 2010

पत्रकारों के प्रति सरकार संवेदनशील क्यों नहीं?

उत्तरप्रदेश :जिस तरह नक्सली नेता के साथ  एक पत्रकार को भी  गोली मार कर पुलिस ने अपनी कायेरता का परिचय दिया है उससे साफ़ ज़ाहिर है की इन पुलिस वालो ने कही न कही से अपनी दुश्मनी एक पत्रकार से निकाली है जो इन पुलिस वालो के गलत कारनामों को जनता के सामने ला कर खड़ा करता है, आज इस समाज में पत्रकारों की हत्या की जा रही है क्यों? क्युकी वो समाज में फैली बुराई को जड़ से ख़तम करने की कोशिश करता है इसलिए?  लोगो को उनके अधिकार से परिचय  कराता है इसलिए? और वही इन पुलिस वालो की गोली का निशाना बन जाता है या फिर किसी और के द्वारा ऐसे पत्रकारों को गोली मार दी जाती है, जो समाज से बुराई को जड़ से ख़तम करने के लिए अपनी जीतोड़ कोशिश करते है| दूसरी तरफ बस्ती जनपद में दैनिक आज के प्रतिनिधि रहे अवनीश कुमार श्रीवास्तव की ग्यारह दिन  पहले गोली मार कर हत्या कर दी जाती है लेकिन एक ग्यारह दिन बीत जाने के बाद भी इस पत्रकार की हत्या करने वाले को ढूंढ न पाना पुलिस प्रशासन  के ऊपर सवालिया निशान खड़ा करता है की क्या पूरा पुलिस प्रशासन किसी दबाव में है या फिर उसकी कार्य प्रडाली शून्य हो चुकी है|
ऐसा कब तक चलेगा कब तक बुराइयों से लड़ने वाले मौत के मुह में जाते रहेंगे? आज इस भ्रष्ट समाज में कोई भी पत्रकार सुरक्षित क्यों नहीं है? उनकी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी लेने वाले ही  उनकी हत्या क्यों कर रहे है? समाज के इस सजग प्रहरी की सुरक्षा के प्रति सरकार संवेदनशील क्यों नहीं हो रही  है? ऐसे तमाम सवाल हर पत्रकार के दिमाग में गूँज रहे है जो इस समाज में फैली तमाम बुराइयों को जड़ से ख़तम करने और भ्रष्ट लोगो को बेनकाब करने के लिये जोखिम उठाने के साथ साथ समाज को एक सही दिशा में ले जाने का प्रयास करते है|