Sunday, February 20, 2011

फ्रेंडशिप क्लब बनाम टेलीफोनिक वैश्यावृति !

आप अकेले है...? मन उदास रहता है...? कोई महिला दोस्त नहीं है....? किसी लड़की को दोस्त बनाना चाहते है..? तो देर किस बात की नीचे लिखे फ़ोन नंबर पर किसी भी उमर के युवक और युवतिया कॉल करें|  ऐसे ही तमाम विज्ञापन आपको रोज़ समाचार पत्रों में देखने को मिलेगा| दरअसल ये एक व्यापार है जो फ़ोन काल करने वाले से उसकी बात करने के दौरान लिये गए काल चार्जेज पर चलता है इनके द्वारा दिए गए फ़ोन नंबर पे काल करने पर आपको इंटरनेशनल/ एसटीडी  काल का चार्ज देना पड़ेगा| फ्रेंडशिप क्लब के नाम पर चल रहा ये व्यापार पूरी तरह फ़ोन काल पर ही  निर्भर होता है, लेकिन आज अधिकतर फ्रेंडशिप क्लब इस व्यापार को गलत दिशा में ले जा रहे है,जिसे एक तरह से हम टेलीफोनिक वैश्यावृति का भी नाम दे सकते है|
मनमोहक आवाज़ और सुरीले शब्दों से अपनी तरफ आकर्षित करने वाला ये एक ऐसा व्यवसाय है जिसके आधार पर युवा वर्ग को अपनी तरफ खीचने के लिये फ़ोन काल करने और मेम्बर बनाए जाने के एवज में मोटी रकम का भुगतान करने के लिये प्रेरित किया जाता है|  यदि आप एक युवक है तो आपकी काल को एक युवती द्वारा रिसीव किया जाएगा, किसी युवती ने काल किया तो उसकी काल युवक को ट्रांसफर कर दी जाती है, फिर शुरू होता है बात चीत का दौर आपसे मनमोहक अंदाज़ में जीवन से जुडी हर उस बात का ज़िक्र किया जाता है जो कही न कही से पुरुष और महिला के आपसी और करीबी रिश्तो के सम्बंध से मतलब रखता है, यूँ तो विज्ञापन में सिर्फ दोस्ती करने के इच्छुक युवाओं को आमंत्रित किया जाता है लेकिन आज न जाने कितने क्लब खुल चुके है जो इसके नाम पर गलत धंधा भी चलाने लगे है जिसे हम टेलीफोनिक वैश्यावृति का भी नाम दे सकते है क्यूंकि आज बहुत से ऐसे फ्रेंडशिप क्लब आपस में दोस्ती करवाने के नाम पर लोगो से मेंबरशिप शुल्क भी मांगने लगे है, काल करने वाले को शुल्क जमा करने के लिये एक अकाउंट नंबर दिया जाता है जिसमे मेंबरशिप शुल्क जमा करने को कहा जाता है,जिसके बदले में आपको युवतीयों के फ़ोन नंबर भी उपलब्ध करा दिए जाते है या यूँ  कहे की आपको उस  युवती से किसी भी तरह की बात करने की आजादी दी जाती है| ऐसे क्लबों में युवको को आकर्षित करने के लिये प्यार मोहब्बत के साथ साथ पुरुष महिला के आपसी संबंधो पर बात करने पर अधिक जोर दिया जाता है जिससे लोग आकर्षित हो कर दुबारा काल करे|  इस प्रकार के क्लबो से युवा पीढ़ी अधिक आकर्षित हो कर पुनः काल करती है जो इन्हें गलत दिशा में ले जाती है | दूसरी तरफ आज हमारे समाज में ऐसे क्लबो द्वारा फैलाये गये वायरस से युवा पीढ़ी पर बुरा असर पड़ा है जिसकी मिसाल राह चलते फ़ोन पर बात कर रहे युवा युवती को देखा जा सकता है, दिन हो या रात घर की छतो पर घंटो फ़ोन पर बात करने का नज़ारा देखने को मिल ही जायेगा| वहीँ रही सही कसर हमारे मोबाइल कंपनियों ने सस्ती काल कर के पूरी कर दी है| एक दौर था जब लोग सन्देश भेजने के लिये कबूतर उड़ाया करते थे लेकिन आज सबकुछ बदल गया टेलिकॉम छेत्र में इतना बदलाव आ गया की इसका बुरा असर युवा वर्ग पर कुछ अधिक पड़ा है | बहरहाल सोचना ये है की क्या समाज में खुले रूप से चल रहे ऐसे क्लबो को आजादी देना उचित है?

Sunday, February 13, 2011

मुरादाबाद न्यूज़: स्वास्थ्य विभाग की मिली भगत से दांतों पर आफत !

मुरादाबाद : दांतों का इलाज या दांतों से दुश्मनी..! गरीबी एक ऐसा श्राप है जिसके कारण लोग कभी कभी ऐसे नुक्सान में पड़ जाते है जिसे संभालना काफी मुश्किल होता है| एक तरफ बेरोजगारी तो दूसरी तरफ इसके नुक्सान भी गजब ढहा  रहे है | चलिए आपको ले चलते है मुरादाबाद के बिलारी छेत्र में जहाँ रोड पर खुले आम झोला छाप दांत के डॉक्टर अपनी रोज़ी रोटी चलाने के साथ साथ उन गरीब लोगो के दांत के साथ खिलवाड़ करते पाए गये जिनके पास ना तो इतना पैसा है और ना ही समझ की वो किस्से इलाज करावा रहे है|
यूँ तो झोला छाप डॉक्टरों पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा अभियान भी चलाया जाता  है लेकिन चंद समय के लिये चलाये जा रहे  ऐसे अभियान से साफ़ पता चलता है की विभाग द्वारा खानापूर्ति के साथ इन झोला छाप डॉक्टरों से मिलीभगत है | बिलारी में सडको पर अपनी दूकान सजा कर बैठे ऐसे डॉक्टर खुल्ले में दांतों का इलाज इस प्रकार करते नज़र आते है जैसे कोई नाई किसी के बाल काट रहा हो| ज़्यादातर ऐसे डॉक्टर दांतों की बिमारी से पीड़ित लोगो का सीधे सीधे दांत उखाड़ लेने की सलाह देते है क्यूकी यही काम इनके लिये सबसे आसान होता है सबसे ताज्जुब वाली बात ऐसे झोला छाप डॉक्टरों के पास जबड़ो को सुन्न करने वाला इंजेकशन भी मौजूद होता है जिसके सहारे से ये दांतों को उखाड़ने का काम करते है| दांतों की सफाई में प्रयोग किया जाने वाला पदार्थ में तेज़ाब की मात्रा का अंदेशा भी सहज ही लगाया जा सकता है  क्यूकी लोगो के अनुसार इन झोला छाप डॉक्टर से दांत की सफाई के कुछ समय के पश्चात दांतों का रंग काला पढने लगता है| और तो और  खुले रूप से चल रहे  इनके दवाखानो पर लगे बड़े बड़े बोर्ड पर गौर किया जाये तो उसपर कोई डिग्री भी नहीं लिखी होती,उसके  बाद भी स्वास्थ्य विभाग का अपनी आंखे मूंदे रखना इन्हें भी संदेह के घेरे में ला खड़ा करता है |
बहरहाल अगर हमारे समाज के गरीब और भोले भाले लोग इन के चंगुल में फसते  है तो इसके लिये सीधे तौर पर स्वास्थ्य विभाग ज़िम्मेदार है |खुले रूप से चल रहे ऐसे दवाखाने पर शिकंजा कसने के बजाये विभाग द्वारा छूट देने का एक ही मतलब निकाला जा सकता है की विभाग से इनकी मिली भगत है जो सस्ते इलाज के नाम पर लोगो के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे  है | इन्हें रोकने के लिये देखते है विभाग कब तक प्रयास करता है और कब अपनी जिम्मेदारियों को समझता है|

Thursday, February 3, 2011

बच्ची की जान जोखिम में डाल कर रोटी का इंतज़ाम !

मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश: दो जून की रोटी के लिये खतरों का खेल| ये तस्वीर बयान करती है उस गरीबी और भूख का जिसके लिये कोई कुछ भी कर सकता है, लेकिन मुद्दा ये है की क्या एक २.५  वर्षीय बच्ची की जान जोखिम में डाल  कर रोटी का इंतज़ाम करने वालो को ऐसी रोटी रास आएगी? सबसे हैरान करने वाली बात ये है की हमारे देश में ऐसे लोग मौजूद है जो ऐसे खेल को देख कर तालियाँ  बजाते नज़र आते है ना की ऐसे जोखिम भरे खेल का विरोध करते हुए| 
अभी हाल ही में मुरादाबाद के दस सराये पुलिस चौकी के ठीक सामने एक २.५ वर्षीय बच्ची द्वारा ऐसा ही  जानलेवा खेल को अंजाम दिया जा रहा था  लोगो की भीड़ उसके इस काम के लिये तालियाँ बजाती नज़र आ रही थी,वही पुलिस कर्मी इसे बड़े मज़े से देखते हुए अपना मनोरंजन कर रहे थे| एक छोटी बच्ची द्वारा एक पतली रस्सी पर हवा में चलने का खेल देख कर हर किसी को ये डर भी था कही ये बच्ची गिर ना जाये लेकिन किसी ने ना तो इसका विरोध  किया और ना ही हमारे पुलिस कर्मी ने उसे रोका| एक मासूम की जान जोखिम में डाल कर दो वक़्त की रोटी का जुगाड़ करने वाले उसके परिजन भी उसके हौसला अफजाई  के लिये उसका तालियों से स्वागत करते हुए नज़र आ रहे थे| हट्ठे-कट्ठे परिजन को देख कर कोई भी कह सकता था की एक मासूम की जान जोखिम में डाल कर ऐसी रोटी कमाने वाला उस बच्ची का हितैषी नहीं हो सकता|