मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश: देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकपाल बिल के लिये चली आंधी से जहाँ देश हिल गया वही मुरादाबाद जैसे जिले में मानो इस आंधी का खौफ विभागों में नहीं देखा गया| वही पुराना राग उपभोगता को लूटो और सिर्फ लूटो और अपनी जेब भरो की कहानी दोहराई जा रही है| पहले से ही बदनाम बिजली विभाग ने फिर एक ऐसी कहानी को जन्म दे दिया है जो अन्ना की इस आंधी को धता बता रही है|
अभी ताज़ा मामला बिजली विभाग का सामने आया है जहाँ पर एक गरीब परिवार से बिजली का नया कनेक्शन लगाने के बदले सुविधा शुल्क के नाम पर अच्छे खासे पैसे मांगे गये| सबसे हैरत वाली बात ये है की उस छेत्र के जे. ई. साहब ने खुले रूप में उस उपभोगता से दो कनेक्शन के नाम पर फाइल पर हस्ताक्षर करने के बदले 1000 रूपये वसूल लिये|
जानकारी के अनुसार मुरादाबाद के पंडित नगला निवासी रोहताश पुत्र हरदेव सिंह ने बिजली के दो नए कनेक्शन एक अपने नाम और एक अपने पिता जी के नाम से लगवाने के लिये आवेदन किया था जिसकी फाइल पर जे. ई. महोदय के हस्ताक्षर होने थे जिसके बाद रसीद कटनी थी| लेकिन विभाग के कई चक्कर लगाने के बाद जब उपभोगता ने जे. ई. से संपर्क किया तो उन्होंने प्रतिएक फाइल के बदले ५०० रूपये की मांग रख दी| गरीबी की दुहाई देने के बाद भी जे.ई. साहब का दिल नहीं पसीजा और यहाँ तक कह डाला की जब तक पैसे नहीं दोगो तब तक हस्ताक्षर नहीं नहीं करूँगा| थोडा सीधे किस्म के इस उपभोगता ने थक हार कर आखिर १००० रूपये इन साहब को दे डाले तब जा कर हस्ताक्षर हो पाया| लेकिन इस उपभोगता की मुश्किलें यही ख़तम नहीं हुई|
आज 11 अप्रैल को रसीद कटवाने मुरादाबाद के सीतापुरी बिजली घर में जब ये उपभोगता पंहुचा तो इससे दो कनेक्शन के नाम पर 6600 रूपये मांगे जाने लगे जबकि सरकारी खाते में कुल जमा की जाने वाली दो कनेक्शन की धनराशी 5500 रूपये बनती है| इस सन्दर्भ में जब उपभोगता ने इसकी शिकायत सीतापुरी बिजली घर में बैठे एस.डी.ओ से की तो उनका जवाब भी संतुष्टि वाला नहीं दिखा और उसे यह कर कर टाल दिया की "जा कर बाबू से बात करो" मतलब जिस बाबू की शिकायत लेकर पंहुचा उसी से मिलने के लिये बोल दिया गया| एस.डी.ओ. द्वारा कारवाही करने के बजाये उस पर पर्दा डालना एक सवालिया निशान खड़ा करता है की कही ये भी इस खेल में शामिल ना हो|
जब इस मामले की सूचना मिली तो विभाग के आला अधिकारी से संपर्क साधा गया और इस सन्दर्भ में बात की गई जिसके बाद वही सीतापुरी सब स्टेशन पर बैठे एस डी.ओ. थोडा बदले अंदाज़ में दिखे और 5500 रूपये ही जमा करने को कहा| हालाँकि बड़े अधिकारियों से की गई शिकायत पर एस डी.ओ थोडा भड़क ज़रूर गये थे उन्होंने उपभोगता से यहाँ तक कह डाला की अगर प्रधानमंत्री का नंबर मिल जाये तो क्या उन्हें भी फ़ोन करवा दोगे| एस डी.ओ साहब की इस बात से साफ़ पता चल रहा है की उन्हें पहले से ही इस सुविधा शुल्क की लेने की जानकारी थी क्यूकी फ़ौरन की गई शिकायत के बाद भी उस कथित बाबू और जे.ई से कोई पूछताछ नहीं की गई| बहरहाल एक गरीब के पैसे तो बच गये लेकिन आये दिन ना जाने कितने उपभोगता ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों के चंगुल में पड़ कर अपने पैसे बेवजह गवां रहे होंगे और अधिकारी मज़े ले रहे होंगे|
मुरादाबाद : मुरादाबाद के वाणिज्य कर विभाग में खुले आम वसूला जा रहा सुविधा शुल्क! या यूँ कहे की जबरन किसी भी काम के एवज में वसूले जा रहे है पैसे | ऊपर से नीचे तक यानी चपरासी तक पैसे लेने में कोई कसर नहीं छोड़ते दिख रहे| व्यापारी परेशान जाये तो जाये कहाँ.. न चाहते हुए भी उन्हें इनकी मनमानी पर देने पड़ रहे है पैसे|
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मुरादाबाद के वाणिज्य कर विभाग में कर्मचारियों द्वारा खुल कर सुविधा शुल्क लेने का दौर चल रहा है| इस सन्दर्भ में थोड़ी पड़ताल करने के बाद जो तथ्य सामने आये इन्हें जान कर आपको भी हैरत ही होगी कि किस प्रकार जबरन सुविधाशुल्क लेने का खेल चल रहा है | गौरतलब है की एक सख्त कानून के अंतर्गत प्रदेश के बाहर से फॉर्म-३८(आयात घोषणा-पत्र) द्वारा मॉल मंगाने का प्रावधान है इसके अभाव में कोई भी व्यापारी माल नहीं मंगा सकता है | शायेद इसलिए इस फॉर्म की डिमांड भी कुछ अधिक होती है| आये दिन विभाग में इस तरह के फॉर्म का न मिल पाना चर्चा का विषय बनता रहा है| जानकारी के अनुसार विभाग से मिलने वाले फॉर्म-३८(आयात घोषणा-पत्र) के लिए व्यापारी को पूर्व में लिए गए फॉर्म के ब्योरे के साथ एक प्रार्थना पत्र देना होता है जिसपर ये लिखना होता है की फॉर्म किस मद के लिये लिया जा रहा है| इसके बाद इस प्रार्थना पत्र को उसी कार्यालय में बैठे एक बाबू के पास जमा किया जाता है जिस पर एक रिपोर्ट लगनी होती है जिसके बदले में बाबू महोदय अपना मुह खोलते हुए १०० रूपये सिर्फ इसलिए लेते है की इस पर रिपोर्ट लगनी होती है हालाँकि अभी हाल ही में महंगाई को देखते हुए या यूँ कहे की जादा की आस में अब रिपोर्ट लगाने की सुविधा शुल्क में भी इजाफा हुआ है जिसके लिए अब १०० रूपये की जगह २०० रूपये खुले रूप से मांगे जा रहे है| अब बात करते है उससे बड़े अधिकारी यानी बड़े बाबू की जहाँ से फॉर्म प्राप्त किया जाता है| यहाँ पर ये महोदय भी फॉर्म के नाम पर सुविधा शुल्क लेने में कोई कसर नहीं छोड़ते है| प्रतिएक फॉर्म के बदले ५० से १०० रूपये इन्हें भी सुविधा शुल्क के तौर पर देने पड़ते है| इसके बाद भी विभाग में बैठे छोटे कर्मचारी (चपरासी) भी कोई मौका नहीं गंवाते फॉर्म पर मोहर लगाने के नाम पर ये भी कम से कम २० रूपये तो लेते ही है| फॉर्म-सी, और फॉर्म-एच लेने के लिए भी इसी प्रक्रिया से गुज़रना पड़ता है और इसी तरह सुविधा शुल्क देना पड़ता है| मज़े की बात तो ये है की इसकी शिकायत करने में किसी ने भी हिम्मत नहीं दिखाई है | वैसे इस प्रकार के सुविधाशुल्क लेने की शिकायत भी लोग इस डर से नहीं करते की बराबर के कमरे में असिस्टेंट कमिश्नर के बैठे होने के बावजूद ये लोग खुले रूप से ऐसा कर रहे है जैसे की बड़े अधिकारी इस सुविधा शुल्क के खेल से वाकिफ है, शायद शिकायत न करने की एक वजह ये भी हो सकती है| दूसरी वजह ये निकल कर आती है की शिकायत करने के बाद कही उनके फॉर्म या अन्य कागजात में कमी निकाल कर उन्हें परेशान न किया जाने लगे| बहरहाल सुविधा शुल्क लेने का दौर यहीं ख़तम नहीं होता माल मांगने के बाद फॉर्म को जमा कर रसीद लेने के बदले में भी कम्पूटर पर बैठे कर्मचारी को भी २० रूपये देने पड़ते है जिसके बाद रसीद दी जाती है |
हालाँकि अब विभाग द्वारा फॉर्म की किल्लत होने की वजह से व्यापारी को घर बैठे ऑनलाइन फॉर्म-३८ (आयात घोषणा-पत्र) निकालने की सुविधा प्रदान कर दी गई है| जिससे काफी हद तक लोगो को राहत मिलने की सम्भावना है साथ ही चल रहे सुविधा शुल्क के खेल से भी निजात मिलेगी |