Friday, June 11, 2010

पत्रकारों के प्रति सरकार संवेदनशील क्यों नहीं?

उत्तरप्रदेश :जिस तरह नक्सली नेता के साथ  एक पत्रकार को भी  गोली मार कर पुलिस ने अपनी कायेरता का परिचय दिया है उससे साफ़ ज़ाहिर है की इन पुलिस वालो ने कही न कही से अपनी दुश्मनी एक पत्रकार से निकाली है जो इन पुलिस वालो के गलत कारनामों को जनता के सामने ला कर खड़ा करता है, आज इस समाज में पत्रकारों की हत्या की जा रही है क्यों? क्युकी वो समाज में फैली बुराई को जड़ से ख़तम करने की कोशिश करता है इसलिए?  लोगो को उनके अधिकार से परिचय  कराता है इसलिए? और वही इन पुलिस वालो की गोली का निशाना बन जाता है या फिर किसी और के द्वारा ऐसे पत्रकारों को गोली मार दी जाती है, जो समाज से बुराई को जड़ से ख़तम करने के लिए अपनी जीतोड़ कोशिश करते है| दूसरी तरफ बस्ती जनपद में दैनिक आज के प्रतिनिधि रहे अवनीश कुमार श्रीवास्तव की ग्यारह दिन  पहले गोली मार कर हत्या कर दी जाती है लेकिन एक ग्यारह दिन बीत जाने के बाद भी इस पत्रकार की हत्या करने वाले को ढूंढ न पाना पुलिस प्रशासन  के ऊपर सवालिया निशान खड़ा करता है की क्या पूरा पुलिस प्रशासन किसी दबाव में है या फिर उसकी कार्य प्रडाली शून्य हो चुकी है|
ऐसा कब तक चलेगा कब तक बुराइयों से लड़ने वाले मौत के मुह में जाते रहेंगे? आज इस भ्रष्ट समाज में कोई भी पत्रकार सुरक्षित क्यों नहीं है? उनकी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी लेने वाले ही  उनकी हत्या क्यों कर रहे है? समाज के इस सजग प्रहरी की सुरक्षा के प्रति सरकार संवेदनशील क्यों नहीं हो रही  है? ऐसे तमाम सवाल हर पत्रकार के दिमाग में गूँज रहे है जो इस समाज में फैली तमाम बुराइयों को जड़ से ख़तम करने और भ्रष्ट लोगो को बेनकाब करने के लिये जोखिम उठाने के साथ साथ समाज को एक सही दिशा में ले जाने का प्रयास करते है|